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ज़िन्दगी
तो अपने दम
पर ही जी
जाती हे … दूसरो
के कन्धों पर
तो सिर्फ जनाजे
उठाये जाते हैं
.”
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मैं
एक मानव हूँ
और जो कुछ
भी मानवता को
प्रभावित करता है
उससे मुझे मतलब
है.
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निष्ठुर
आलोचना और स्वतंत्र
विचार ये क्रांतिकारी
सोच के दो
अहम् लक्षण हैं.
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क्रांति
मानव जाती का
एक अपरिहार्य अधिकार
है. स्वतंत्रता सभी
का एक कभी
न ख़त्म होने
वाला जन्म-सिद्ध
अधिकार है. श्रम
समाज का वास्तविक
निर्वाहक है.
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क़ानून
की पवित्रता तभी
तक बनी रह
सकती है जब
तक की वो
लोगों की इच्छा
की अभिव्यक्ति करे.
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व्यक्तियो
को कुचल कर
, वे विचारों को
नहीं मार सकते।
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इंसान
तभी कुछ करता
है जब वो
अपने काम के
औचित्य को लेकर
सुनिश्चित होता है
, जैसाकि हम विधान
सभा में बम
फेंकने को लेकर
थे.
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किसी
भी कीमत पर
बल का प्रयोग
ना करना काल्पनिक
आदर्श है और नया
आन्दोलन जो देश
में शुरू हुआ
है और जिसके
आरम्भ की हम
चेतावनी दे चुके
हैं वो गुरु
गोबिंद सिंह और
शिवाजी, कमाल पाशा
और राजा खान
, वाशिंगटन और गैरीबाल्डी
, लाफायेतटे और लेनिन
के आदर्शों से
प्रेरित है।
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अहिंसा
को आत्म-बल
के सिद्धांत का
समर्थन प्राप्त है जिसमे
अंतत: प्रतिद्वंदी पर
जीत की आशा
में कष्ट सहा
जाता है . लेकिन
तब क्या हो
जब ये प्रयास
अपना लक्ष्य प्राप्त
करने में असफल
हो जाएं ? तभी
हमें आत्म -बल
को शारीरिक बल
से जोड़ने की
ज़रुरत पड़ती है ताकि
हम अत्याचारी और
क्रूर दुश्मन के
रहमोकरम पर ना
निर्भर करें
\
मैं
इस बात पर
जोर देता हूँ
कि मैं महत्त्वाकांक्षा
, आशा और जीवन
के प्रति आकर्षण
से भरा हुआ
हूँ. पर मैं
ज़रुरत पड़ने पर ये
सब त्याग सकता
हूँ, और वही
सच्चा बलिदान है.
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जो
व्यक्ति भी विकास
के लिए खड़ा
है उसे हर
एक रूढ़िवादी चीज
की आलोचना करनी
होगी , उसमे अविश्वास
करना होगा तथा
उसे चुनौती देनी
होगी
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आम
तौर पर लोग
चीजें जैसी हैं
उसके आदि हो
जाते हैं और
बदलाव के विचार
से ही कांपने
लगते हैं। हमें
इसी निष्क्रियता की
भावना को क्रांतिकारी
भावना से बदलने
की ज़रुरत है.
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ज़रूरी
नहीं था की
क्रांति में अभिशप्त
संघर्ष शामिल हो। यह
बम और पिस्तौल
का पंथ नहीं
था.
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किसी
को “क्रांति ” शब्द
की व्याख्या शाब्दिक
अर्थ में नहीं
करनी चाहिए। जो
लोग इस शब्द
का उपयोग या
दुरूपयोग करते हैं
उनके फायदे के
हिसाब से इसे
अलग अलग अर्थ
और अभिप्राय दिए
जाते है.
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यदि
बहरों को सुनना
है तो आवाज़
को बहुत जोरदार
होना होगा. जब
हमने बम गिराया
तो हमारा धेय्य
किसी को मारना
नहीं थ. हमने
अंग्रेजी हुकूमत पर बम
गिराया था . अंग्रेजों
को भारत छोड़ना
चाहिए और उसे
आज़ाद करना चहिये.
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राख
का हर एक
कण मेरी गर्मी
से गतिमान है
मैं एक ऐसा
पागल हूँ जो
जेल में भी
आज़ाद है
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