Raj ghat (राज घाट)

राज घाट को किसी विशेष प्रस्तावना की जरूरत नहीं है। यह महात्मा गाँधी का समाधि स्थल है जिसे 31 जनवरी 1948को उनकी हत्या के उपरान्त बनाया गया था। इस स्थान के महत्व का पता इस बात से चलता है कि भारत आये किसी भी प्रवासी प्रतिनिधि मण्डल को राजघाट आकर पुष्पाँजलि समर्पित करना और महत्मा गाँधी को सम्मान देना अनिवार्य रहता है। राज घाट यमुना नदी के किनारे महात्मा गाँधी मार्ग पर स्थित है।

राजघाट की वास्तु कला

स्मारक को वानु जी भुटा द्वारा डिज़ाइन किया गया है और स्थापत्य कला को दिवंगत नेता के अनुकरण में 'सरल' रखा गया है। हालाँकि निर्माण के उपरान्त स्मारक में कई बदलाव किये जा चुके हैं।


विशेषता

यह दिल्ली का सबसे लोकप्रिय आकर्षण है और प्रतिदिन हजारों पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। यह स्मारक काले संगमरमर की बनी एक वर्गाकार संरचना है जिसके एक किनारे पर तांबे के कलश में लगातार एक मशाल जलती रहती है। इसके चारों ओर कंकड़युक्त फुटपाथ और हरे-भरे लॉन हैं और स्मारक पर 'हे राम' गुदा हुआ है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि महात्मा के ये अन्तिम शब्द थे। मृत्यु से पहले गांधीजी के अंतिम शब्द ‘हे! राम’ थे, जो उनकी समाधि पर अंकित हैं।

अन्य समाधियाँ

गाँधी जी के समाधि स्थल के पास भारत पर शासन करने वाले कई अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञों के स्मारक स्थित हैं। इनमें जवाहरलाल नेहरू का शाँतिवन, लाल बहादुर शास्त्रीका विजयघाट, इन्दिरा गाँधी का शक्ति स्थल, ज्ञानी जैल सिंह का एकता स्थल और राजीव गाँधी की वीर भूमिशामिल हैं।[1]

अन्तिम संस्कार

गांधीजी दिल्ली में 30 जनवरी 1948 को प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे, तब नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। यह वही पवित्र स्थान है, जहां गांधी जी का अंतिम संस्कार किया गया था।

विदेशी विशेष व्यक्ति

समाधि के पास कई पेड़ लगे हुए हैं, जिन पर उन विदेशियों के नाम लिखे हुए हैं, जो राजघाट देखने आए। जैसे कि ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रेगन, पूर्व आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री राफ टिडरमैन के नाम यहां देख सकते हो।

गांधी स्मारक संग्रहालय

राजघाट में गांधी स्मारक संग्रहालय भी है, जिसमें गांधी जी के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनके सर्वोदय आंदोलन को फिल्म द्वारा दिखाया गया है। यह फिल्म प्रत्येक रविवार को 3 बजे हिंदी में और 5 बजे अंग्रेज़ी में दिखाई जाती है।[2]

सांस्कृतिक कार्यक्रम

हर शुक्रवार को यहां स्मारक समारोह होते हैं और हर साल 2 अक्तूबर (जन्म दिवस) और 30 जनवरी (निधन) पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।

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