- क्रोध एक प्रचंड अग्नि है, जो मनुष्य इस अग्नि को वश में कर सकता है, वह उसको बुझा देगा | जो मनुष्य इस अग्नि को वश में नहीं कर सकता, वह स्वंय अपने को जला लेगा |
- राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है |महात्मा गाँधी
- गरीबी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।
- जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे ये व्यक्त करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है|
- हम दबाव से अनुशासन नहीं सीख सकते |
- चरित्र की शुद्धि ही ज्ञान का लक्ष्य होनी चाहिए |
- भूल करने में पाप तो है ही, परंतु उसे छिपाने में उससे भी बड़ा पाप है |
- क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है|
- वास्तविक सुन्दरता ह्रदय की पवित्रता में है|
- अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है|
- प्रेम की शक्ति, हिंसा की शक्ति से हजार गुनी प्रभावशाली और स्थायी होती है|
- जो समय बचाते हैं, वे धन बचाते हैं और बचाया हुआ धन, कमाएं हुए धन के बराबर है|
- पाप से घृणा करो, पापी से नहीं|
- कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि कुछ लोग जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं|
- ईशवर न काबा में है न काशी में है, वह तो घर – घर में व्याप्त है, हर दिल में मौजूद है |
- : मनुष्य को अपनी ओर खींचनेवाला यदि जगत में कोई असली चुम्बक है, तो वह केवल प्रेम है |
- भगवान ने मनुष्य को अपने ही समान बनाया, पर दुर्भाग्य से इन्सान ने भगवान को अपने जैसा बना डाला |
- परमेश्वर सत्य है; यह कहने के बजाय ‘सत्य ही परमेश्वर है’ यह कहना अधिक उपयुक्त है |
- वास्तविक सौंदर्य ह्रदय की पवित्रता में है |
- सुविचार: ह्रदय कि कोई भाषा नहीं होती है| ह्रदय, ह्रदय से बातचीत करता है |
पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करती हैं |
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