1.इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं हे,
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबु आये.
जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था| अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ
2. साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं : यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं
3.उत्कृष्टता वो कला है जो प्रशिक्षण और आदत से आती है.हम इस लिए सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है , बल्कि वो हमारे अन्दर इसलिए हैं क्योंकि हमने सही कार्य किया है.हम वो हैं जो हम बार बार करते हैं.इसलिए उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत है
4.कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें,तभी आगे बढें
5.हमारे स्वप्न विशाल होने चाहिए . हमारी महत्त्वाकांक्षा ऊँची होनी चाहिए . हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए और हमारे प्रयत्न बड़े होने चाहिए . रिलायंस और भारत के लिए यही मेरा सपना है .
6.वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है भले ही वास्तविकता- में वह बहुत दूर ही क्यों ना होलेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है
7.संतुलित दिमाग से जैसीकोई सादगी नहीं हैसंतोष जैसाकोई सुख नहीं हैलोभ जैसी कोई बीमारी नहीं हैऔर दया जैसा कोई पुण्य नहीं है
मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबु आये.
जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था| अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ
2. साधारण दिखने वाले लोग ही दुनिया के सबसे अच्छे लोग होते हैं : यही वजह है कि भगवान ऐसे बहुत से लोगों का निर्माण करते हैं
3.उत्कृष्टता वो कला है जो प्रशिक्षण और आदत से आती है.हम इस लिए सही कार्य नहीं करते कि हमारे अन्दर अच्छाई या उत्कृष्टता है , बल्कि वो हमारे अन्दर इसलिए हैं क्योंकि हमने सही कार्य किया है.हम वो हैं जो हम बार बार करते हैं.इसलिए उत्कृष्टता कोई कार्य नहीं बल्कि एक आदत है
4.कोई काम शुरू करने से पहले, स्वयम से तीन प्रश्न कीजिये – मैं ये क्यों कर रहा हूँ, इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होऊंगा. और जब गहरई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जायें,तभी आगे बढें
5.हमारे स्वप्न विशाल होने चाहिए . हमारी महत्त्वाकांक्षा ऊँची होनी चाहिए . हमारी प्रतिबद्धता गहरी होनी चाहिए और हमारे प्रयत्न बड़े होने चाहिए . रिलायंस और भारत के लिए यही मेरा सपना है .
6.वह जो हमारे चिंतन में रहता है वह करीब है भले ही वास्तविकता- में वह बहुत दूर ही क्यों ना होलेकिन जो हमारे ह्रदय में नहीं है वो करीब होते हुए भी बहुत दूर होता है
7.संतुलित दिमाग से जैसीकोई सादगी नहीं हैसंतोष जैसाकोई सुख नहीं हैलोभ जैसी कोई बीमारी नहीं हैऔर दया जैसा कोई पुण्य नहीं है
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