Netaji Hindi Quotes On Life & Experience

"तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !" 


"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 vv"तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"
 "तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !"

"ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगीहमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए."


"आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके."


"मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !"

"राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है ."


"भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी ."


"मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारीकुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है ."



"यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना !"


"समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है !"


"मध्या भावे गुडं दद्यात -- अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !"


"संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया ! मुझमे आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ ,जो पहले नहीं था !"


"कष्टों का निसंदेह एक आंतरिक नैतिक मूल्य होता है !"


"मुझमे जन्मजात प्रतिभा तो नहीं थी ,परन्तु कठोर परिश्रम से बचने की प्रवृति मुझमे कभी नहीं रही !"


"जीवन में प्रगति का आशय यह है की शंका संदेह उठते रहें और उनके समाधान के प्रयास का क्रम चलता रहे !"


"हम संघर्षों और उनके समाधानों द्वारा ही आगे बढ़ते हैं !"


"हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो ,हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो , फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है ! सफलता का दिन दूर हो सकता है ,पर उसका आना अनिवार्य है !"


"श्रद्धा की कमी ही सारे कष्टों और दुखों की जड़ है !"


"अगर संघर्ष रहे ,किसी भी भय का सामना करना पड़े ,तब जीवन का आधा स्वाद ही समाप्त हो जाता है !"


"मैं संकट एवं विपदाओं से भयभीत नहीं होता ! संकटपूर्ण दिन आने पर भी मैं भागूँगा नहीं वरन आगे बढकर कष्टों को सहन करूँगा !"


"इतना तो आप भी मानेंगे ,एक एक दिन तो मैं जेल से अवश्य मुक्त हो जाऊँगा ,क्योंकि प्रत्येक दुःख का अंत होना अवश्यम्भावी है !"


"असफलताएं कभी कभी सफलता की स्तम्भ होती हैं !"


"सुबह से पहले अँधेरी घडी अवश्य आती है ! बहादुर बनो और संघर्ष जारी रखो ,क्योंकि स्वतंत्रता निकट है ! "




"समय से पूर्व की परिपक्वता अच्छी नहीं होती ,चाहे वह किसी वृक्ष की हो ,या व्यक्ति की और उसकी हानि आगे चल कर भुगतनी ही होती है !"


"अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ ,जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है !"


"निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अति आवश्यक है !"



"में जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता !"


"मैंने अमूल्य जीवन का इतना समय व्यर्थ ही नष्ट कर दिया ! यह सोच कर बहुत ही दुःख होता है ! कभी कभी यह पीड़ा असह्य हो उठती है ! मनुष्य जीवन पाकर भी जीवन का अर्थ समझ में नहीं आया ! यदि मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुँच पाया ,तो यह जीवन व्यर्थ है ! इसकी क्या सार्थकता है ?"


"परीक्षा का समय निकट देख कर हम बहुत घबराते हैं ! लेकिन एक बार भी यह नहीं सोचते की जीवन का प्रत्येक पल परीक्षा का है ! यह परीक्षा ईश्वर और धर्म के प्रति है ! स्कूल की परीक्षा तो दो दिन की है ,परन्तु जीवन की परीक्षा तो अनंत काल के लिए देनी होगी ! उसका फल हमें जन्म-जन्मान्तर तक भोगना पड़ेगा !"


"मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है ! मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है ! मुझे नेतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है  ! "



"भविष्य अब भी मेरे हाथ में है !"


"मेरे जीवन के अनुभवों में एक यह भी है ! मुझे आशा है की कोई--कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती !"


"मैंने जीवन में कभी भी खुशामद नहीं की है ! दूसरों को अच्छी लगने वाली बातें करना मुझे नहीं आता ! "


"मैं चाहता हूँ  चरित्र ,ज्ञान और कार्य....."


"चरित्र निर्माण ही छात्रों का मुख्य कर्तव्य है !"




"हमें केवल कार्य करने का अधिकार है ! कर्म ही हमारा कर्तव्य है ! कर्म के फल का स्वामी वह (भगवान ) है ,हम नहीं !"

"कर्म के बंधन को तोडना बहुत कठिन कार्य है !"


"व्यर्थ की बातों में समय खोना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता !"


"मैंने अपने छोटे से जीवन का बहुत सारा  समय व्यर्थ में ही खो दिया है !"




"माँ का प्यार सबसे गहरा होता है ! स्वार्थ रहित होता है ! इसको किसी भी प्रकार नापा  नहीं जा सकता !"





"जिस व्यक्ति में सनक नहीं होती ,वह कभी भी महान नहीं बन सकता ! परन्तु सभी पागल व्यक्ति महान नहीं बन जाते ! क्योंकि सभी पागल व्यक्ति प्रतिभाशाली नहीं होते ! आखिर क्यों ? कारण यह है की केवल पागलपन ही काफी नहीं है ! इसके अतिरिक्त कुछ और भी आवश्यक है !"




"भावना के बिना चिंतन असंभव है ! यदि हमारे पास केवल भावना की पूंजी है तो चिंतन कभी भी फलदायक नहीं हो सकता ! बहुत सारे लोग आवश्यकता से अधिक भावुक होते हैं ! परन्तु वह कुछ सोचना नहीं चाहते !"


"मेरी सारी की सारी भावनाएं मृतप्राय हो चुकी हैं और एक भयानक कठोरता मुझे कसती जा रही है !"

"हमें अधीर नहीं होना चहिये ! ही यह आशा करनी चाहिए की जिस प्रश्न का उत्तर खोजने में जाने कितने ही लोगों ने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ,उसका उत्तर हमें एक-दो दिन में प्राप्त हो जाएगा !"

"एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा निष्ठा  कर्तव्य और बलिदान। जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है. अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने  ह्रदय में समाहित कर लो."



"याद  रखें अन्याय सहना और  गलत  के  साथ  समझौता  करना सबसे  बड़ा  अपराध    है.


"एक  सच्चे  सैनिक  को  सैन्य  और  आध्यात्मिक  दोनों  ही  प्रशिक्षण  की  ज़रुरत  होती  है ."


"स्वामी विवेकानंद का यह कथन बिलकुल सत्य है ,यदि तुम्हारे पास लोह शिराएं हैं और कुशाग्र बुद्धि है ,तो तुम सारे विश्व को अपने चरणों में झुक सकते हो !"

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